मित्रों, छोटी बहर की ग़ज़लें मुझे बहुत पसन्द हैं; कहना भी और पढ़ना या सुनना भी। आज छोटी बहर की ये ग़ज़ल प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि ये आप को पसन्द आयेगी। है न..........!
किसने की है घात न पूछो।
कैसे खाई मात न पूछो।
मैं गमगीं हूँ आज बहुत ही,
आज तो कोई बात न पूछो।
दिल की बेताबी कैसी है,
क्यों बेचैन है रात न पूछो।
देने वाला अपना ही था,
किसने दी सौगात न पूछो।
बिन बादल के क्यों होती है,
अश्कों की बरसात न पूछो।
मजबूरी में ठीक कहूँगा,
कैसे हैं हालात न पूछो।
किसने की है घात न पूछो।
कैसे खाई मात न पूछो।
मैं गमगीं हूँ आज बहुत ही,
आज तो कोई बात न पूछो।
दिल की बेताबी कैसी है,
क्यों बेचैन है रात न पूछो।
देने वाला अपना ही था,
किसने दी सौगात न पूछो।
बिन बादल के क्यों होती है,
अश्कों की बरसात न पूछो।
मजबूरी में ठीक कहूँगा,
कैसे हैं हालात न पूछो।
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गीत ग़ज़ल की दुनियाँ में इस बार देखें-बनारस के श्री विन्ध्याचल पाण्डेय की रचनाएं ....