लगभग एक साल के अंतराल पर मैंने अपने माता-पिता दोनों को (24-3-2016 को माँ और 24-5-2017 को पिता को) खो दिया है। प्रस्तुत है इस समय मेरे मन की भावना (अभी मैंने कोई मात्रा या बहर नही
देखा है, वो बाद में देखूँगा) ...
अम्मा चली गयीं मेरे पापा चले गए।
दुनिया में मुझको छोड़ अकेला चले गए।
दुनिया में मुझको छोड़ अकेला चले गए।
बचपन के लाड़-प्यार वो दुलार अब कहाँ,
देकर वो मुझको दौर सुनहरा चले गए।
देकर वो मुझको दौर सुनहरा चले गए।
वो जब तलक थे दिल से मैं बच्चा ही था अभी,
लेकर ज्यूँ मेरे दिल का वो बच्चा चले गए।
लेकर ज्यूँ मेरे दिल का वो बच्चा चले गए।
होती है अहमियत किसी की जाने के बाद ही,
अहसास हो रहा है जब वो सहसा चले गए।
अहसास हो रहा है जब वो सहसा चले गए।
अब भी यकीं नही मुझे क्यों हो रहा है ये,
कल तक तो साथ-साथ थे, यूँ कहाँ चले गए।
कल तक तो साथ-साथ थे, यूँ कहाँ चले गए।
उनकी कमी खलेगी अब ताउम्र ही मुझे,
अरमान उनके पूरे हों, वो जहाँ चले गए।
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