जिंदगी ने कई दिन दिखाए ।
कभी रोये कभी मुस्कुराये ।
कभी पाते रहे कभी खोते रहे ,
कभी जगते रहे कभी सोते रहे ,
इस तरह वक्त हमने बिताये ।
कभी रोये कभी मुस्कुराए ।
कभी शिकवा किया कभी वादे किए ,
कभी हमने नए कुछ इरादे किए ,
तेज आंधी में भी न डगमगाए ।
कभी रोये कभी मुस्कुराए ।
कभी ठोकर मिला कभी आहें मिली ,
कभी मंजिल की ओर जाती राहें मिली ,
मंजिलों पे कदम भी बढाए ।
कभी रोये कभी मुस्कुराए ।
काम बनते रहे और बिगड़ते रहे ,
लोग मिलते रहे और बिछड़ते रहे ,
जो गए लौट कर फ़िर न आए ।
कभी रोये कभी मुस्कुराए ।
Copyright@PBChaturvedi
प्रिय बन्धु
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा आपका लेखन
आज कल तो लिखने पढने वालो की कमी हो गयी है ,ऐसे समय में ब्लॉग पर लोगों को लिखता-पढता देख बडा सुकून मिलता है लेकिन एक कष्ट है कि ब्लॉगर भी लिखने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं जबकि पढने पर कम .--------
नई कला, नूतन रचनाएँ ,नई सूझ ,नूतन साधन
नये भाव ,नूतन उमंग से , वीर बने रहते नूतन
शुभकामनाये
जय हिंद