मित्रो,
आज आप के लिए दहेज़ पर एक रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ | आप ने अक्सर देखा होगा जब भी
ऐसी कोई खबर आती है तो उसमें सिर्फ बहू जलती है और वह भी तब जब कोई नहीं रहता, सभी
जलने के बाद ही पंहुचते है | ख़ास तौर से सीधी-साधी बहुओं के साथ ये ज्यादा होता है
| काश ! लोग सभी को इंसान समझते...
जब भी जली है बहू जली है सास कभी भी नहीं जली है |
जब भी जली सब दूर रहे हैं पास कभी भी नहीं जली है |
जितना भी मिलता जाता है उतना ही कम लगता है,
और मिले कुछ और मिले ये आस कभी भी नहीं जली है |
हम हिन्दू तो मरने पर ही लाश जलाया करते हैं,
वो जीते-जी जली है उसकी लाश कभी भी नहीं जली है |
कभी-कभी कुछ ऐब भी अक्सर चमत्कार दिखलाते हैं,
सीधी-साधी जल जाती बिंदास कभी भी नहीं जली है |
इस रचना को यू-ट्यूब जरुर पर सुनिए-
Copyright@PBChaturvedi
एक बुराई पर प्रहार करती सुन्दर रचना । ।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा। दहेज़ के लोभियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलने के साथ ही इनका सामूहिक बहिष्कार होना चाहिए।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति ,,,
जवाब देंहटाएंनेट स्लो चलने के कारण नहीं देख पा रहा हूँ ,,
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उम्दा रचना.. सीधा और बेबाक ..दीपोत्सव की मंगलकामना मेरे भी ब्लॉग पर आये
जवाब देंहटाएंshukriyaan tippani ke liye ,marmsparshi rachna ,happy diwali
जवाब देंहटाएंसुंदर ! दीपावली शुभ हो !
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां सार्थक रचना .. दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं ..
जवाब देंहटाएंसटीक
जवाब देंहटाएंजब भी जली है बहु जली है ,सास कभी भी नहीं जली है ,
जवाब देंहटाएंजितना भी मिलता जाता है ,उतना ही कम लगता है ,
और मिले कुछ और मिले ,आस कभी भी नहीं जली है।
हम हिन्दू तो मरने पर ही लाश जलाया अक्र्ते हैं ,
वो जीते जी जली है ,उसकी लाश कभी भी नहीं जली है।
बहुत सशक्त मार्मिक अभिव्यक्ति समाज की इस विडंबना को सुन्दर कैसे कहें फेस बुक की तरह
लाइक कैसे करें ?
बहु है असली सास है नकली ,दिवाली पे पोल खुली है -
,सीधी साधी जल जाती है बिंदास कभी भी नहीं जली है ,
यू ट्यूब पर भी सुना
बहुत बढ़िया रचना व प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनया प्रकाशन --: दीप दिल से जलाओ तो कोईबात बन
बहुत सशक्त रचना.
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम.
भावपूर्ण और सार्थक रचना .
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति .
सटीक ... एक समाज की बुराई पे बेबाकी से लिखा है ... लाजवाब शेर हैं सभी ...
जवाब देंहटाएंदीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...
katu satya ka behtareen wiwechan!
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : कुछ भी पास नहीं है
सटीक रचना
जवाब देंहटाएंमस्त-
जवाब देंहटाएंमार्मिक -
चेताती-
आभार-
जलने से बच जाय तो, बन सकती है सास |
सास इसी एहसास से, देती साँस तराश |
देती साँस तराश, जलजला घर में आये |
और होय परिहास, जगत में नाक कटाये |
रविकर घर से निकल, चला है कालिख मलने |
लेकिन घर में स्वयं, बहु को देता जलने-
समाज की सच्चाई को सामने लाती रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई !!
एक कटु सच को दर्शाती प्रभावी रचना।
जवाब देंहटाएंTo the point hai.. :)
जवाब देंहटाएंbadhai apko
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