गुरुवार, 3 नवंबर 2016

यही अब दोस्तों की दोस्ती है

एक ग़ज़ल ( 'मुफाईलुन मुफाईलुन फऊलुन'  पर आधारित ) प्रस्तुत है...

यही अब दोस्तों की दोस्ती है |

कभी भी हाल तक पूछा नहीं है |

 

ठहाके मार के हंसना, बिहंसना

मुझे वो आजतक भूला नहीं है |

 

बिना बातों के वो बातें बनाना,

उन्ही बातों की अब शायद कमी है |

 

किसी के पास मंजिल का पता है,

किसी के दिल की दुनिया लुट गयी है |

 

यही तो ज़िंदगी का फलसफा है,

कहीं खुशियाँ कहीं वीरानगी है |

 

जिए तो जा रहे हैं ज़िंदगी, पर

ये लगता है कहीं कोई कमी है |

 

अभी खुशबू नहीं छाई फिजां में,

अँधेरे में अभी तक रौशनी है |

 

बुरा मत बोलना, सुनना, न कहना

किसी ने खूब ये बातें कही है |

 

‘अनघ’ आता नहीं आनन्द तब भी,

बहुत आराम में गर ज़िंदगी है |  
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