शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

यार नहीं जो काम न आए

बहुत दिनों बाद आज कोई रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ..दरअसल मैं लगभग १ माह नेट से दूर रहा...आशा है आप को अवश्य पसंद आएगी ...

यार नहीं जो काम न आए।
प्यार वही जो साथ निभाए।

आता वक्त बुरा तो अक्सर,
जिससे आशा वो ठुकराए।

दिन में ही कुछ कोशिश कर लो,
जिससे काली रात न आए।

वक्त अगर बीतेगा ये भी,
दोबारा फिर हाथ न आए।

भाई-भाई अब लड़ते हैं,
आपस में ये बात न आए।

तू-तू,मैं-मैं करती दुनिया,
ऐसे तो हालात न आए।

सच पूछो तो वो ही जवां है,
जो मिट्टी का कर्ज़ चुकाए।
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