शनिवार, 22 अगस्त 2009

मंजिल को पाने की खातिर

मंजिल को पाने की खातिर, कोई राह बनानी होगी ।
दूर अंधेरे को करने को, शम्मा एक जलानी होगी ।

अंगारों पर चलना होगा , काँटों पर सोना होगा ;
कितने ख्वाब तोड़ने होंगे, कितनी चाह मिटानी होगी ।

बस दो ही तो राहें अपने , इस जीवन में होती हैं ;
अच्छी राह चुनो तो अच्छा, बुरी राह नादानी होगी ।

इतना भी आसान नहीं है, मंजिल को यूँ पा लेना ;
कुछ पाने की खातिर तुमको, देनी कुछ कुर्बानी होगी।

लीक से हटकर चलना तो अच्छा है लेकिन मुश्किल है;
दिल में हिम्मत जारी रखोगे तो बड़ी आसानी होगी ।

दुनिया वाले कुछ बोलेंगे, जैसी उनकी आदत है
लेकिन जब मंजिल पा लोगे, दुनिया पानी-पानी होगी ।

पैदा होकर मर जाते हैं, जाने कितने लोग यहाँ ;
आज ‘अनघ’ कुछ नया करो तो, तेरी अमर कहानी होगी ।

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10 टिप्‍पणियां:

  1. दुनिया वाले कुछ बोलेंगे , जैसी उनकी आदत है;
    लेकिन जब मंजिल पा लोगे , दुनिया पानी पानी होगी

    बहुत बेहतरीन शेर है जनाब...बधाई इस कामयाब ग़ज़ल के लिए...
    नीरज

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  2. पैदा होकर मर जाते हैं , जाने कितने लोग यहाँ ;
    लेकिन नया करोगे कुछ तो , तेरी अमर कहानी होगी ।

    युवाओं को संदेश देता शे'र

    दुनिया वाले कुछ बोलेंगे , जैसी उनकी आदत है;
    लेकिन जब मंजिल पा लोगे , दुनिया पानी पानी होगी ।

    वाह...ये तो खूब कहा आपने .....!!

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  3. युवा दिलों की हौसला अफजाई करती ग़ज़ल |मंजिल पाना है तो राह बनाओ अँधेरा मिटाना है तो चिराग जलाओ |पथ कंटक हो या पथरीला ,चाहे राह में अंगारे पर चलना पड़े चल्ल्ल्लते रहो गर मंजिल पाना है |राह चुनने में भी सब्धानी बरतनी होगे कहीं गलत राह न चुन ली जाय "" सिर्फ इक कदम उठा था गलत ,रहे इश्क में ,मंजिल तमाम उन\मर मुझे ढूंढती रही ""बिलकुल सही बात है मंजिल पाना आसन नहीं है ""हर कदम रक्खा सम्हल कर हमने रहे इश्क में ,जब नजर आने लगी मंजिल तो ठोकर खा गिरे ""लीक से हट कर तो चलना ही होगा जो लीक से हटा उसी ने कुछ कर दिखाया ,बुद्ध ,महावीर ,मोहम्मद ,ईशा ,सब ने पुरानी बैटन को ठुकराया लीक से हटे |मरने के पहले कुछ कर ही जाना चाहिए |या तो ऐसा करो कि तुम्हारे वारे में कुछ लिखा जा सके नहीं तो ऐसा लिखो कि तुमको पढ़ा जा सके |दुनिया में किसने किसी को अच्छा कहा है |अरे राम को नहीं छोडा |खैर आपकी ग़ज़ल एक दम सुंदर लगी |ऊपर जो कवी गोष्ठी के वारे में लिखा है उसमे कहीं ""प्रसन्न वादन चतुर्वेदी ""की जगह ""और मैं " आजाता तो अच्छा रहता

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  4. इतना भी आसान नहीं है , मंजिल को यूँ पा लेना ;
    कुछ पाने की खातिर तुमको , देनी कुछ कुर्बानी होगी।

    wah "प्रसन्न वदन चतुर्वेदी ji" aapke is blog main shayad pehli baar aaya hoon accha laga...
    ...blog bhi, aur apki ghazal bhi,khaskaar upar wali line.

    acche lekhan ke liye badhai.

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  5. ............दुनिया पानी पानी होगी
    सच में हमें गर्व है आप कि इस कथनी, सन्देश और ग़ज़ल पर.
    बधाई.

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  6. बेहतरीन गज़ल के लिए बधाई।
    --देवेन्द्र पाण्डेय।

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  7. पहली बार रूबरू हुआ आपकी रचनाओं से ,,,,,,,,,,,चलिए हम भी कोई शमा जलाएगे .......

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  8. अंगारों पर चलना होगा , काँटों पर सोना होगा ;
    कितने ख्वाब तोड़ने होंगे , कितनी चाह मिटानी होगी ।
    इतना भी आसान नहीं है , मंजिल को यूँ पा लेना ;
    कुछ पाने की खातिर तुमको , देनी कुछ कुर्बानी होगी।
    बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है.
    महावीर
    manthan

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  9. 'लीक से हटकर चलना तो अच्छा है लेकिन मुश्किल है;
    दिल का हौसला जारी रखोगे तो बड़ी आसानी होगी '

    प्रेरणा दायक रचना

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  10. दुनिया वाले कुछ बोलेंगे , जैसी उनकी आदत है;
    लेकिन जब मंजिल पा लोगे , दुनिया पानी पानी होगी ।

    ye sach kaha apne....jojita wahi sikander..aapke ghazal achhe lage!

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