बुधवार, 18 नवंबर 2009

जीवन की एक महत्वपूर्ण यात्रा

आज आप को अपने जीवन की एक बहुत ही यादगार यात्रा का विवरण देना चाहूँगा।ये यात्रा मात्र नही है बल्कि एक तीर्थयात्रा है जो देश के हर नागरिक को अवश्य करनी चाहिये।यह यात्रा है अमर देशभक्त शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की समाधि और हुसैनीवाला बार्डर पर भारत-पाक सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं द्वारा किये जाने वाले परेड का।सबसे पहले मैं इस यात्रा के संयोजक और अपने अग्रज आदरणीय रमेश सचदेवा जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहूँगा क्योंकि उनकी वजह से ही हम इस पवित्र धरती के दर्शन कर सके वरना हमारे लिये तो ये सपना ही रहता।हमारे साथ-साथ हरियाणा पब्लिक स्कूल मंडी डबवाली और शेरगढ़ के छात्र-छात्रायें भी थे और कुछ विशेष अतिथि भी।मैंने अपनी पत्नी,पुत्री और पुत्र के साथ यह यादगार यात्रा की.......
सबसे पहले हमने १९६५ के युद्ध में पाकिस्तान से जीत के बाद बरामद ये टैंक देखा[देखिये चित्र-१,२,३,४]।
अब पहले मैं इस जगह के बारे में बताना चाहूंगा........ [चित्र -५-२३]-
पंजाब के फीरोजपुर जिले में स्थित इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व है।भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव को लाहौर में रातों-रात उनके शहीद होने के बाद अंग्रेजों ने उनके मृत शरीर को यहाँ लाकर मिट्टी का तेल छिड़ककर जला दिया।१९६५ में भारत-पाक युद्ध में पाक ने इस जगह कब्जा कर लिया और उनकी मुर्तियों आदि को पाकिस्तान लेकर चले गये।१९७१ के युद्ध में पराजित होने के बाद शिमला-समझौता के अन्तर्गत पुन: ये क्षेत्र भारत के पास आया। इन शहीदों की समाधि के साथ ही शहीद बटुकेश्वर दत्त की भी समाधि है क्योंकि उन्होनें अपनी मृत्यु के बाद यहीं पर अपनी समाधि की इच्छा प्रकट की थी।पास ही शहीद भगत सिंह की माता श्रीमती विदिया वती; जिन्हें १९७३ में पंजाब सरकार ने ‘पंजाब माता’ के खिताब से सम्मानित किया था और जिन्होनें इन शहीदों के साथ ही अपनी समाधि बनाने की इच्छा जताई थी;की समाधि भी उनके स्वर्गवास के बाद १९७४ में बनाई गई।
दर असल यह स्थल आजादी के पहले रेलवे स्टेशन था और लाहौर तक रेलवे मार्ग से जुड़ता था।इस पुराने रेलवे-स्टेशन की दीवारों पर १९६५ के भारत -पाक युद्ध के बीच गोलीबारी के साक्ष्य अब भी देखे जा सकते हैं।
चित्र-२४-२७ -[हुसैनीवाला बार्डर पर भारत-पाक सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं द्वारा किये जाने वाला परेड]-यह भी एक रोचक और गौरवपूर्ण अनुभव था।दोनों ओर के सैनिकों के प्रदर्शन के समय नागरिक अपने-अपने देश के सैनिकों का उत्साहवर्द्धन कर रहे थे।कभी-कभी तो माहौल में वीर-रस का इतना प्रभाव हो जाता था कि हर कोई अपने को सैनिक अनुभव कर रहा था।वाह.....इस अनुभव को बस महसूस किया जा सकता है.....


















































9 टिप्‍पणियां:

  1. इसमें से कुछ चित्र तो हम आपके ऑरकुट पर पहले ही देख आये हैं. :)

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  2. PARSUNJI,
    NAMASKAR
    BLOG PAR JANKARI DENE KE LIYE DHANYAVAD.
    AAP ESMEIN YEH BHI SHAMIL KARE.
    YEH YATRA HAR VARSH HOTI H.
    ESME 8TH CLASS KE STATE BOARD KE 85% SE ADHIK MARKS LENE WALE SUB-DABWALI DIVISION BACHHO KO NCC OFFICERS ASSOCIATION KI AUR SE FREE LEKAR JAYA JATA H,
    ESME HAR BAR HAMARE SCHOOL HPS KE MAXIMUM BACHCHE HOTE H.
    ESBAR 8 THE.
    ALL THE CREDIT GOES TO HONB'LE 2ND Lt. SH SHASHI KANTI JI SHARMA AND GREAT & REKNOWN EDUCATIONIST SH. ATMA RAM JI ARORA.
    ALL THIS SUCCED WITH THE HELP OF MR. BAGI'S FAMILY. AS MR. SAT PAL BAGI A REKNOWN JOURNALIST IS NO MORE NOW SINCE LAST TWO YEARS HIS SOM DR. KAMAL HELP US AND GIVE WARM WELCOME AT BARANK SQUARE.
    WE ALL PAY OUR HOMEAGE TO THESE WORSHIPABLE PERSONALITIES WITH BARE FEET AND HAVING WISH TO DO MORE FOR THE COUNTRY.
    THANKS

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  3. बहुत अच्छा लगा , आपके साथ इस यात्रा पर निकलकर।

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  4. bahut hi anoothi post.
    -aur kuchh chitr to sanjoy rakhne layak hain.

    -Sach hai ye jagahen...teerth sthan hi hain.

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