बुधवार, 1 सितंबर 2010

वक्त ये एक-सा नहीं होता

क्या! आप ने याद मुझे किया! लीजीए मैं आ गया अपनी इस ग़ज़ल के साथ........

वक्त ये एक-सा नहीं होता।
वक्त किसका बुरा नहीं होता।

वक्त की बात है नहीं कुछ और,
कोई अच्छा-बुरा नहीं होता।
इस जहाँ में नहीं जगह ऐसी,
दर्द कोई जहाँ नहीं होता।

हों चमन में अगर नहीं काटें,
फूल कोई वहाँ नहीं होता।

पल जो ग़मगीन गर नहीं आते,
वक्त ये खुशनुमा नहीं होता।

प्यार क्या है नहीं समझते सब,
गर कोई बेवफा नहीं होता।

जब कसौटी पे वक्त कसता है,
हर कोई तब खरा नहीं होता।

होता भगवान पर यकीं सबको,
जब कोई आसरा नहीं होता।

हर जगह आप ही तो होते हैं,
ऐ ‘अनघ’ दूसरा नहीं होता।

Copyright@PBChaturvedi

14 टिप्‍पणियां:

  1. हाथी घोड़ा पालकी जै कन्‍हैया लाल की.

    सुन्‍दर शेर, धन्‍यवाद.


    श्री कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी की हार्दिक शुभकामनांए.

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  2. एक अर्से बाद आपका आना हुआ है । स्वागत है ।
    सचमुच वक्त कभी एक सा नहीं होता ।

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  3. आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
    बहुत बढ़िया ! उम्दा प्रस्तुती!

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  4. प्यार क्या है नहीं समझते सब,
    गर कोई बेवफा नहीं होता।


    जब कसौटी पे वक्त कसता है,
    हर कोई तब खरा नहीं होता।
    वाह बहुत खूब।
    श्री कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी की हार्दिक शुभकामनांए.

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  5. आप की रचना 03 सितम्बर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
    http://charchamanch.blogspot.com/2010/09/266.html


    आभार

    अनामिका

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  6. प्रसन्न बाबू,
    कुछ आपकी रचना और कुछ मेरी मनोस्थिति....
    सत्य वचन!
    आभार स्वीकार करें!
    आशीष

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  7. भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें! गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें!

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  8. वक्त ये एक-सा नहीं होता।
    वक्त किसका बुरा नहीं होता।


    वक्त की बात है नहीं कुछ और,
    कोई अच्छा-बुरा नहीं होता।


    काफी अच्छी रचना लिखी है आपने! काबली-ए-तारीफ़ है!
    आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है! आप मेरी कविता पढ़ें और टिपण्णी लिखें दें तो मुझे ख़ुशी होगी!

    http://alahindipoems.blogspot.com/

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  9. आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
    मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ

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  10. प्रसन्न वदन चतुर्वेदी जी
    नमस्कार !

    आप तो अच्छी ग़ज़ल कह लेते हैं , मुबारक !


    प्यार क्या है नहीं समझते सब,
    गर कोई बेवफा नहीं होता।

    जब कसौटी पे वक्त कसता है
    हर कोई तब खरा नहीं होता

    हर जगह आप ही तो होते हैं
    और तो दूसरा नहीं होता

    सब खुदा पे यकीन करते हैं
    जब कोई आसरा नहीं होता


    ये चारों शे'र तो एक से बढ़कर एक हैं

    एक बार फिर से बधाई और शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  11. अरे वाह ! मैं तो यहां पहले आया हुआ हूं …


    आदरणीय प्रसन्न जी
    सस्नेहाभिवादन !

    नेट भ्रमण करते हुए अचानक आपके यहां दुबारा पहुंच कर हार्दिक प्रसन्नता है …
    आप तो मुलाकात करने भी नहीं आए … , उम्मीद है नाराज़गी नहीं होगी हमसे कोई :)
    आशा है , आवागमन होता रहेगा अब ।

    और हां हुज़ूर , नई ग़ज़ल लगाएं अब तो …

    * श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं ! *


    साथ ही…

    *नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !*

    नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
    पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!

    चैत्र शुक्ल शुभ प्रतिपदा, लाई शुभ संदेश !
    संवत् मंगलमय ! रहे नित नव सुख उन्मेष !!


    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  12. क्या हाल हैं ? क्या लिखना-पढ़ना छोड़ दिया?

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