आप सभी को भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की बहुत-बहुत बधाई। आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर मैं अपना लिखा एक भजन प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह भजन पहले लिखित रूप में आप तक पहुँच चुका है, आज अपनी आवाज़ मे आप तक पहुँचा रहा हूँ...
दर्शन दो प्रभु कबसे खड़े हैं।
हम भारी विपदा में पड़े हैं।
कोई नहीं प्रभु-सा रखवाला,
मेरे कष्ट मिटाने वाला,
जीवन में कर दीजै उजाला;
आप दयालू नाथ बड़े हैं.......
झूठी माया झूठी काया,
लेकर मैं दुनिया में आया,
दुनिया में है पाप समाया;
भरते पाप के रोज़ घड़े हैं........
पाप हटे मिट जाये बुराई,
सबमें पडे़ प्रभु आप दिखाई,
इच्छाओं ने दौड़ लगाई;
कितनी गहरी मन की जड़े है.......
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बहुत अच्छा गाया है आपने प्रसन्न वदन जी।..बधाई।
जवाब देंहटाएंभजन की एक पंक्ति पर आपत्ति दर्ज हो...
झूठी माया झूठी काया
लेकर मैं दुनियाँ में आया।
न माया झूठी लेकर आया न काया झूठी लेकर आया। बिन माया के, निर्मल काया लेकर मैं दुनियाँ में आया। झूठी माया ने काया को इस दुनियाँ में आने के बाद ही झूठा साबित कर दिया।:(
बहुत सुन्दर भजन...
हटाएंआपको बहुत सारी शुभकामनाएं...
(देवेन्द्र जी की बात सच है,कृष्ण को कैसे झुठलाएं भला?....)
सादर
अनु
बहुत ही सुन्दर भजन है..
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की शुभकामनाये
:-)
प्रभुमिलन की व्याकुलता स्पष्ट दिखाई दे रही है इस भजन में ...मनोहारी प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंवैसे देवेन्द्र जी की बात पर भी गौर किया जाना चाहिये
बहुत बेहतरीन सुंदर प्रस्तुति,,,,
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....
जय श्रीकृष्ण!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भजन...आपकी आवाज़ ने उसे मुखरित कर दिया...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएं्वाह: बहुत ही सुन्दर भजन..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर बोल उससे भी सुन्दर आवाज . बहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा छंदमय कविता |ब्लॉग पर आने हेतु आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत ही भाव-प्रवण कविता। मेरे ब्लॉग " प्रेम सरोवर" के नवीनतम पोस्ट पर आपका स्वागत है।
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