सत्य क्या है ये जानना होगा ?
प्रश्न को यूँ न टालना होगा |
हम जहाँ रह रहे वहाँ हर पल,
साथ दुश्मन है मानना होगा |
जो दगा दे रहे हैं मुद्दत से,
दिल में रखना उन्हें मना होगा |
भाईचारा निभा रहे हैं हम,
मिल रहा क्या ये सोचना होगा ?
दिख रही है तुम्हें भले चिड़िया,
आँख पर लक्ष्य साधना होगा |
चिकनी-चुपड़ी बहुत हुई बातें,
होश अबसे संभालना होगा |
हम सहस्त्राब्दियों रहे सोए,
हिन्दुओं आज जागना होगा |
कैसे होगा वो आदमी बोलो ?
खून से हाथ जब सना होगा |
वीडियो भी सिहर गया देखो,
क़त्ल करते समय बना होगा |
हाँ ‘अनघ’ हैं सहिष्णु हम लेकिन,
जुल्म का बल से सामना होगा |
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अभी भी न जाने कितनी और कब तक चिकनी-चुपड़ी बातें झेलनी होंगी हमें? टीस पैदा करती जगाने वाली सार्थक रचना!
जवाब देंहटाएंएक कटु सत्य को कहती सुंदर ग़ज़ल ।।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी गज़ल।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सही
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