हुनर जब भी किसी का बोलता है |
तो अनुभव ज़िन्दगी का बोलता है |
कई अनहोनियाँ होनी हुईं हैं,
असर जब बन्दगी का बोलता है |
मची हलचल समुन्दर में हमेशा,
लिपटना जब नदी का बोलता है |
मुसव्विर रंग का गुणगान करता,
सुख़नवर शायरी का बोलता है |
तड़कती या भड़कती शय से ज्यादा,
नजरिया सादगी का बोलता है |
समाचारों की दुनिया में ‘अनघ’ अब,
करिश्मा सनसनी का बोलता है |
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हकीकत बयां करती नायाब गज़ल।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंतड़कती या भड़कती शय से ज़्यादा नज़रिया सादगी का बोलता है। लाजवाब अशआर हैं ये आपके। सच कहूँ तो समूची ग़ज़ल ही बेहतरीन है, बिलाशक़।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
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