सभी ब्लागर साथियों को नमस्कार ! बहुत दिन हुए मैनें अपने ब्लाग पर लगातार कुछ नहीं लिखा। लीजिए प्रस्तुत है एक ग़ज़ल ( बहर :- फाइलातुन मफाइलुन फेलुन ) ....
दर्द से मेरे बेखबर निकला ।
मैं लुटा तो मगर ये रंज मुझे,
लूटने वाला हमसफर निकला।
वक्त ने भी दिया दगा मुझको,
प्यार का वक्त मुक्तसर निकला ।
दूसरा कोई रास्ता ही नहीं,
अश्क ये आँख की डगर निकला।
ये शिकायत तेरे 'अनघ' से है,
बेवफाई की राह पर निकला।
बेवफाई की राह पर निकला।
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bahut hee sundar bhav chaturvedi jee!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... लाजवाब गज़ल है प्रसन्न वदनजी ... नए भाव लिए ...
जवाब देंहटाएंआपको और समस्त परिवार को होली की शुभकामनायें ...
अश्क आंख की डगर निकला......बहुत उम्दा प्रयास !
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत ग़ज़ल है
प्रसन्नवदन चतुर्वेदी जी आपकी हर रचना की तरह ही …
बहुत ख़ूब !
… और हां,
तुम मुझको याद रखना
मेरी बात याद रखना
सुनवाने के लिए विशेष आभार और बधाई !
लगा , जैसे ख़ूबसूरत गायक जगमोहन का गाया कोई अब तक न सुना गीत सुन रहा हूं …
:)
संगीत कैसे मिक्स किया…
राजेन्द्र भाई,ये कोई विशेष रिकार्डिंग नहीं है बल्कि इसमें मैनें खुद ही सिन्थेसाइजर बजाकर गाया है।
जवाब देंहटाएंग़ज़ल अच्छी लगी। होली की बधाई, शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंBAHUT KHOOB .BADHAI SWIKAR KAREN .
जवाब देंहटाएंग़ज़ल अच्छी है।
जवाब देंहटाएंशुभकामना है कि आपकी गायकी में और निखार आए।
होली की बहुत-बहुत बधाई।
मैं लुटा तो मगर ये रंज मुझे,
जवाब देंहटाएंलूटने वाला हमसफर निकला।
खूबसूरत शेर !
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ !
बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनायें।
बढ़िया लगा आपका यह प्रयास...नियमित रखें इसे....
जवाब देंहटाएंहोली मुबारक!!
जवाब देंहटाएंbhaut hi lajbab prastuti ...holi pr hardik badhai chatuvedi ji
जवाब देंहटाएंbahut achchi prastuti..
जवाब देंहटाएंजबरदस्त!!
जवाब देंहटाएंदूसरा कोई रास्ता ही नहीं,
जवाब देंहटाएंअश्क ये आँख की डगर निकला।bahut badhiyaa.
waah khubsurat gajal .badhai .
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya gajal....
जवाब देंहटाएंsundar:-)
बहुत अच्छा.............
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंbahut achchi prastuti
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