मित्रों, छोटी बहर की ग़ज़लें मुझे बहुत पसन्द हैं; कहना भी और पढ़ना या सुनना भी। आज छोटी बहर की ये ग़ज़ल प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि ये आप को पसन्द आयेगी। है न..........!
किसने की है घात न पूछो।
कैसे खाई मात न पूछो।
मैं गमगीं हूँ आज बहुत ही,
आज तो कोई बात न पूछो।
दिल की बेताबी कैसी है,
क्यों बेचैन है रात न पूछो।
देने वाला अपना ही था,
किसने दी सौगात न पूछो।
बिन बादल के क्यों होती है,
अश्कों की बरसात न पूछो।
मजबूरी में ठीक कहूँगा,
कैसे हैं हालात न पूछो।
किसने की है घात न पूछो।
कैसे खाई मात न पूछो।
मैं गमगीं हूँ आज बहुत ही,
आज तो कोई बात न पूछो।
दिल की बेताबी कैसी है,
क्यों बेचैन है रात न पूछो।
देने वाला अपना ही था,
किसने दी सौगात न पूछो।
बिन बादल के क्यों होती है,
अश्कों की बरसात न पूछो।
मजबूरी में ठीक कहूँगा,
कैसे हैं हालात न पूछो।
Copyright@PBChaturvedi
गीत ग़ज़ल की दुनियाँ में इस बार देखें-बनारस के श्री विन्ध्याचल पाण्डेय की रचनाएं ....
मजबूरी में ठीक कहुँगा, कैसे हैं हालात न पूछो, दिल में छिपे दर्द की सटीक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति,,,छोटी बहर गजले,मुझे भी बहुत पसंद आती है,,,बधाई,
जवाब देंहटाएंrecent post : बस्तर-बाला,,,
सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति करें अभिनन्दन आगे बढ़कर जब वह समक्ष उपस्थित हो . आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
जवाब देंहटाएंकैसे कटेगी आज की रात ....
जवाब देंहटाएंआज तो ऐसी बात न पूछो ???
चलो ..मुबारक कबूलें :-)
शुभकामनायें!
बहुत शानदार रचना के लिए बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... छोटी भर में आप कमाल करते हैं ...
जवाब देंहटाएंबिन बादल की बरसात ... अश्कों की बरसात .... वाह लाजवाब शेर ....
बहुत हि बेहतरीन गजल हैं सर जी....
जवाब देंहटाएं:-)
"मजबूरी में ठीक कहूंगा ,
जवाब देंहटाएंकैसे हैं हालात न पूछो .
देने वाला अपना ही था ,
किसने दी सौगात न पूछो ."
-प्रसन्न वदन चतुर्वेदी
शिंदे -,दिग्विजयों की ,अब औकात न पूछो ,
बद्जातों की कौम न पूछों
पुरखों का इनके इतिहास न पूछों .
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :
किसने की है घात न पूछो
http://pbchaturvedi.blogspot.in/
.आभार
जवाब देंहटाएंआपकी महत्वपूर्ण टिप्पणियों का .
देने वाला अपना ही होता है ,
जवाब देंहटाएंगैरों को क्या पता किससे घात होता है !!
छोटे भाई !पूछे नहीं तो सच में सब ठीक कैसे होगा ??
bahut achche......
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी ग़ज़ल आपकी
जवाब देंहटाएंकितनी अच्छी! ये न पूछो।
Bahut Hi Umda....
जवाब देंहटाएंआपका सोचना सही था ...वाकई बहुत पसंद आयी आपकी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनाये हैं.
जवाब देंहटाएंलाजवाब ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंbahut sunder gazal lajavab
जवाब देंहटाएंrachana
lovely verses !!
जवाब देंहटाएंखुद बेहतरीन गजल कहतें हैं .कद्र दान हैं आप .शुक्रिया आपकी सहज टिपण्णी का .मुबारक गणतंत्र आपको भी .
जवाब देंहटाएंकाफी सुंदर गजल
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी
सादर !
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मजबूरी में ठीक कहूंगा, कैसे हैं हालात न पूछो......बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंवाह .बहुत ही प्रभावशाली अभिव्यक्ति. हार्दिक आभार .
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देने वाला अपना ही था ,
जवाब देंहटाएंकिसने दी सौगात न पूछो ."
सभी शेर बहुत उम्दा हैं
कैसी ग़ज़ल ये न पूछो ....:))
यही जीवन है .
जवाब देंहटाएंजियो.....
क्या खूब कहा आपने वहा वहा क्या शब्द दिए है आपकी उम्दा प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
मजबूरी में ठीक कहूँगा
जवाब देंहटाएंकैसे हैं हालात न पूछो
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण, शुभकामनाएँ.
बहुत सुंदर छोटी बहर की गजल ,,,
जवाब देंहटाएंRecent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
badhiya rachna . comment frm mobile so short
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकिसने दी है घात न पूछो..
जवाब देंहटाएंकैसे खाई मात न पूछो...!
बहुत खूब...
हाल मेरा न पूछिये साहेब..
घात वाले पीछे से वार करते हैं...