मंगलवार, 5 मार्च 2013

जो जहाँ है परेशान है

आज एक ग़ज़ल प्रस्तुत कर रहा हूँ जिसे आप अवश्य पसन्द करेंगे, ऐसी आशा है...

जो जहाँ है परेशान है ।
इस तरह आज इन्सान है।

दिल में इक चोट गहरी-सी है,
और होठों पे मुस्कान है।

कुछ न कुछ ढूँढते हैं सभी,
और खुद से ही अन्जान है।

एक शोला है हर आँख में,
और हर दिल में तूफान है।

मंजिलों का पता ही नहीं,
हर तरफ इक बियाबान है।

आदमी में में ही है देवता,
आदमी में ही शैतान है।

सबसे धोखे ‘अनघ’ वे करें,
और खुशियों का अरमान है।

Copyright@PBChaturvedi


36 टिप्‍पणियां:

  1. आदमी की परेशानी का मूल उसके खुद के अन्दर है
    बहुत ही सुन्दर गजल !

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  2. एक दम सही ....जो जहाँ है परेशान है
    जिन्दगी बन गयी एक इम्तहान है |
    शुभकामनायें!

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  3. keep writing sir um following..now onwards.

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  4. बहुत सुन्दर शव्दों से सजी है आपकी गजल ,उम्दा पंक्तियाँ .

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  5. कुछ न कुछ ढूंढते सभी और खुद से ही अनजान हैं.....आजकल के हालात।

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  6. SUNDAR RACHNAYEN HAI AAPKE BLOG PAR , BLOG PAR NA AANE KA AFSOS PRASANN JI

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
    सादर

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    अर्ज सुनिये

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  8. गहन चिंतन से उपजी रचना. बहुत सुंदर.

    महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ.

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  9. दिल में एक चोट गहरी सी ही
    और होंठों पे मुस्कान है ....

    इक दर्द भरी सच्चाई ....!!

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  10. सत्य है ...
    शुभकामनायें आपको !

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  11. सभी शेर बहुत आर्थपूर्ण, दाद स्वीकारें.

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  12. बहुत अच्छी ग़ज़ल...
    सभी शेर लाजवाब..

    अनु

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  13. थोडा उपाहास थोडा व्यंग्य। इससे जुडा वास्तववादी चित्रण। सहज सुंदर और चुटिली गजलें।

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  14. Kya yaar kitne dino ke baat kuch acha padh raha hu dil khush kar diya
    seo

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