प्रस्तुत है एक रचना जो मुझे उम्मीद है आपको अवश्य पसंद आयेगी...
तुम क्या दोगे साथ किसी का कोई साथ नहीं देता है |
सच्ची है ये बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
मतलब की यें बातें हमको आपस में जोड़े रखती हैं,
हरदम ये हालात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
हमने तुमको अपना समझा गलती मेरी माफ़ करो तुम ,
याद रहेगी बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
सच्चाई को देर से जाना अपनी ख़ता तो बस इतनी है,
जानी खा कर मात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
उम्मीदों से आते हैं पर खाली हाथ चले जाते हैं,
कह उठते ज़ज्बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
तुम क्या दोगे साथ किसी का कोई साथ नहीं देता है |
सच्ची है ये बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
मतलब की यें बातें हमको आपस में जोड़े रखती हैं,
हरदम ये हालात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
हमने तुमको अपना समझा गलती मेरी माफ़ करो तुम ,
याद रहेगी बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
सच्चाई को देर से जाना अपनी ख़ता तो बस इतनी है,
जानी खा कर मात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
उम्मीदों से आते हैं पर खाली हाथ चले जाते हैं,
कह उठते ज़ज्बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
Copyright@PBChaturvedi
बहुत सुंदर गजल ,,,वाह !!! क्या बात है,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : अभी भी आशा है,
बढ़िया है भाई जी-
जवाब देंहटाएंबधाई -
मूल और सार्थक बात। कोई किसी का होता नहीं है। पर प्रसन्नवदन जी एक बात ध्यान देने लायक है कि हमारा कोई हो न हो पर हम अनेकों के बनकर जरूर रह सकते है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना,आभार।
जवाब देंहटाएंsachhi hai ye baat......
जवाब देंहटाएंकड़वा सच।
जवाब देंहटाएंTrue!
जवाब देंहटाएंसत्य और गजल उम्दा ..
जवाब देंहटाएंबहुत बएहतरीन.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बेहतरीन ग़ज़ल....
जवाब देंहटाएंसच्ची है ये बात किसी का कोई साथ नहीं देता .....:))
जवाब देंहटाएंसच है किसी का साथ कोई नहीं देता... पर अंतिम पल तक उम्मीद जाती नहीं. बहुत उम्दा, दाद स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंइंसान भले ही अकेला हो लेकिन उम्मीद उसके साथ रहती है तो उसे साथ मिल जाता है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
wah bhai chaturvedi ji ......aj ke jamane ki sachchai ko khoob soorat andaj me aap ne prastut kiya hai ,,,,,,,,,badhai .
जवाब देंहटाएंखुबसूरत ग़ज़ल और सुंदर अभिव्यक्ति .....!!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति ।।।
जवाब देंहटाएंखुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |
जवाब देंहटाएंवाह ! शानदार प्रस्तुति . एक - एक शब्द का चयन बहुत ही खूबसूरती से किया गया है .बधाई .
जवाब देंहटाएंमेरा ब्लॉग स्वप्निल सौंदर्य अब ई-ज़ीन के रुप में भी उपलब्ध है ..एक बार विसिट अवश्य करें और आपकी महत्वपूर्ण टिप्पणियों व सलाहों का स्वागत है .आभार !
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-स्वप्निल शुक्ला
ऐसे कैसे , हम तो दे रहे हैं ना आपका साथ आपके पाठक बनकर ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति ।
सुन्दर ग़ज़ल,सच ही तो है,कोई किसी का साथ नहीं देता.अपनी गठड़ी खुद ही ढोनी पड़ती है
जवाब देंहटाएंआप की रचना ने वाकया कायल कर दिया ...
जवाब देंहटाएंऐसे ही कड़वे सच से भरी है जिंदगी, कविता इसकी संवेदनशीलता को और उभार देती है।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
सच है
जवाब देंहटाएंचलना तो अकेले ही है
बहुत खूब !
बहुत सुन्दर गजल सटीक लगी !
जवाब देंहटाएंप्रसन्न जी , मैं पहली कविता पर कुछ कहना चाहता था , उसके लिए तो आपको बधाई दे ही दूं. देशप्रेम से भरपूर है , लेकिन मेरा ध्यान इस ग़ज़ल के शब्दों पर रुका और मैं दो बार पढ़ लिया .. आपने जादू कर दिया है .
जवाब देंहटाएंसच में
दिल से बधाई स्वीकार करे.
विजय कुमार
मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com
मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com
सत्य को कहती सटीक रचना
जवाब देंहटाएंमस्त जवाब ...
जवाब देंहटाएंवाह !!