मंगलवार, 26 जनवरी 2016

मेरे सपनों का भारत तो भारत ऐसा भारत है

आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक देशभक्ति-पूर्ण रचना प्रस्तुत है जिसमें मैंने 'अपना भारत कैसा हो' ये परिकल्पना की है :-

हर तरफ अमन है जहाँ हर जगह मुहब्बत है |
मेरे सपनों का तो भारत ऐसा भारत है |

हर पुरुष को काम है मिला, कोई भी बिन काम का नहीं,
हर नारी है पढ़ी-लिखी जैसे कि जरुरत है |

धर्म, जाति, सम्प्रदाय पर अब हम नहीं लड़ रहे,
हर भाषा, उपभाषा की एक जैसी इज्जत है |

चोट एक को भी लगे दर्द तो सभी को हो,
दूसरों का दर्द बांटना अब सभी की आदत है |

आँख ना दिखाए कोई मिल-मिल के काम हो सभी,
देश हो, पड़ोसी हो या कि फिर सियासत हो |

कोख में न बेटियाँ मरें जाए हर जगह बिना डरे,
अपहरण, लूट, छेड़ से सबकी अब हिफाजत है |
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आप सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं...

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