एक ग़ज़ल [ "फाइलातुन मुफ़ाइलुन फेलुन" पर आधारित ] प्रस्तुत कर रहा हूँ | आशा है आप अवश्य पसंद करेंगे.......
ये भला क्यों कभी नहीं होता |
हर कोई आदमी नहीं होता |
कुछ गलत लोग भी तो होते हैं,
हर कोई तो सही नहीं होता |
जो न सोचा वो बात होती है,
जो भी सोचा वही नहीं होता |
दिल को भी देख लो जरा उसके,
सिर्फ चेहरा हसीं नहीं होता |
क्यों गलत बात को सही कह दें,
हमसे तो बस यही नहीं होता |
कुछ न कुछ तो 'अनघ' कमी सबमें,
क्यों कोई भी धनी नहीं होता |
ये भला क्यों कभी नहीं होता |
हर कोई आदमी नहीं होता |
कुछ गलत लोग भी तो होते हैं,
हर कोई तो सही नहीं होता |
जो न सोचा वो बात होती है,
जो भी सोचा वही नहीं होता |
दिल को भी देख लो जरा उसके,
सिर्फ चेहरा हसीं नहीं होता |
क्यों गलत बात को सही कह दें,
हमसे तो बस यही नहीं होता |
कुछ न कुछ तो 'अनघ' कमी सबमें,
क्यों कोई भी धनी नहीं होता |
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