बुधवार, 22 अप्रैल 2009

पटरी से की-बोर्ड तक/ प्रसन्न वदन चतुर्वेदी


सोच रहा हूँ कि कहाँ से शुरुआत करूँ।चलिए ब्लाग से ही शुरु करता हूँ।मुझे याद है कि मैं कभी दवात की सहायता से लकडी़ की पटरी पर लिखा करता था।हालांकि ज्यादा दिन ये सिलसिला नही चला था पर कुछ दिन की वो मेहनत बहुत याद आती है।पटरी को बैटरी की कालिख से रंगना,उसे रगड़-रगड़ कर चमकाना,दवात में दुधिया घोलकर उससे लिखना,वो नरकट की कलम......नई पीढी़ ने तो शायद इसके बारे में सुना भी नही हो।
फ़िर स्याही और दवात का लम्बा दौर चला।धीरे धीरे उनका स्थान फ़ाउन्टेन पेन ने ले लिया।मुझे बखूबी याद है कि उस समय हमको बाल पेन से दूर रहने की सलाह दी जाती थी, और कलम दवात के प्रयोग पर जोर दिया जाता था ताकि लिखावट बने।यही नहीं,ये भी कहा जाता था कि यदि बाल पेन{डाट पेन}से लिखा तो परीक्षा में नम्बर नहीं मिलेगा।बाप रे..........वहाँ से मैं कहाँ आ गया ? पटरी से की-बोर्ड तक..........कब आ गया?पता ही नही चला और इतना समय बीत गया...क्या ये वक्त इतनी द्रुत गति से भाग रहा है?
जी हाँ ....भाग तो रहा है पर कुछ नया दे भी तो रहा है।वो स्कूल के दोस्त,फ़िर कालेज के मित्र और अब ब्लाग की दुनिया के इतने प्यारे प्यारे मित्र,शुभेच्छु जो मात्र दिखावे के मित्र नही हैं....उनमें आप की खूबियों पर तारीफ़ करना भी आता है , तो आप की कमियों पर लताड़ लगाना भी।ये वो वास्तविक दोस्त हैं जो सिर्फ़ कहने को नही हैं बल्कि वैसे हैं जैसा उन्हें वास्तव में होना चाहिये।मैं आप सभी ब्लाग मित्रों का बहुत आभारी हूँ जिन्होनें इस एक नयी दुनिया को आबाद कर रक्खा है।मैं इस दुनिया में देर से ही आया पर मैं आया ,मुझे इस बात की बहुत ही ज्यादा खुशी है।इसीलिये तो इच्छा हुई कि आप से कुछ मन की बात कहा भी जाय और मैने ये ब्लाग बना डाला।पर मैं अपने सभी ब्लाग-मित्रों से ये जरूर कहूँगा.....

ना कभी ऐसी कयामत करना ।
दोस्त बनकर तू दगा मत करना।


पूरी ग़ज़ल मेरे ब्लॉग "मेरी गज़लें मेरे गीत"  पर पढ़ें ...
आज के लिए इतना ही........

4 टिप्‍पणियां:

  1. 'वफ़ाएं जिनकी मिली हो तुमको,
    तुम कभी उनसे जफ़ा मत करना।'

    - काश ये दुनिया इन नसीहतों को मानती !

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  2. 'वफ़ाएं जिनकी मिली हो तुमको,
    तुम कभी उनसे जफ़ा मत करना।'

    - काश ये दुनिया इन नसीहतों को मानती !

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  3. और की बातें और ही जानें,
    अपनी नज़रों में गिरा मत करना।
    bahut hi sunder hai aap ki lekhni
    badaai
    Mansi

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  4. और की बातें और ही जानें,
    अपनी नज़रों में गिरा मत करना।
    bahut hi sunder hai aap ki lekhni
    badaai
    Mansi

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