रविवार, 20 सितंबर 2009

भजन/मन की बात समझने वाले

अब मैनें अपने सभी निजी ब्लागों जैसे ‘मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ को एक ही ब्लाग मेरी ग़ज़लें,मेरे गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी'' में पिरो दिया है।दरअसल मैं चाहता हूँ कि आप मेरी हर रचना देंखें परन्तु सभी दर्शकगण और पाठक अलग-अलग ब्लाग्स पर सभी रचनाएं नहीं पढ़ पाते थे।मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ के सभी अनुसरणकर्ता बन्धुओं और मित्रों से अनुरोध है कि वे मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ पर से अनुसरण हटा लें और मेरे इस ब्लाग मेरी ग़ज़लें, मेरे गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी' का एक बार पुनः अनुसरण कर लें;असुविधा के लिये क्षमा प्रार्थी हूँ।नवरात्रि के शुभ अवसर पर एक भजन प्रस्तुत है....

मन की बात समझने वाले, तुमको भला मैं क्या बतलाऊँ।
मैं तो तेरे दर पे खडा़ हूँ, इच्छा पूरी कर दो जाऊँ।


मिट्टी का तन मैंने पाया,
मिट्टी को कंचन से सजाया,
ज्यादा खोया कम ही पाया,
इसी भरम में जन्म गंवाया,
बीत गई है उम्र ये जैसे,अब ना बाकी उम्र गंवाऊँ...


मंदिर में बस आये-जाये,
मन पर पाप का मैल चढा़ये,
भक्त ये प्रभु को भी बहकाये,
लड्डू-पेड़ों से बहलाये,
सारी सृष्टि रचने वाले,मैं क्या तुमको भोग लगाऊँ...
Copyright@PBChaturvedi

17 टिप्‍पणियां:

  1. अरे आप भजन भी लिखते है. वाह वाह अच्छा भजन लिखा है.

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  2. तन पर काला कोट लेकिन मन में नहीं कोई खोट
    बोलना पड़ता है झूठ भले ही दिल को लगती चोट
    पीड़ा जानता हूं, क्यूंकि पेट की खातिर चाहिए नोट

    मन की बात समझने वाले,तुमको भला मैं क्या बतलाऊँ।

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  3. बगुला भक्तों पर करारा व्यंग करती रचना, प्रभु के चरणों में.

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  4. mandir me bas aaye jaye
    maan par pap ka mael chadhaye
    bahut achhi pankiya hai
    ke sath sath sabhi ghazalen bahut marmik lagin
    ramdas akela

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  5. .
    .
    .
    "मंदिर में बस आये-जाये,
    मन पर पाप का मैल चढा़ये,
    भक्त ये प्रभु को भी बहकाये,
    लड्डू-पेड़ों से बहलाये,"

    ऐसे भक्तों से भगवान को कौन बचाये?

    अच्छे भाव...

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  6. बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण भजन लिखा है आपने! नवरात्री कि हार्दिक शुभकामनायें!

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  7. बहुत ही प्यारा गीत लिखा है आपने। बधाई।
    ( Treasurer-S. T. )

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  8. आपके ब्लॉग पर देर से आया हूँ...पर यहाँ तो रचनाओं का खजाना है..एक से बढ़ एक.अब आपकी पुरानी रचनाएं भी समय निकाल कर पढना चाहूँगा.बहुत अच्छा लिखा है बधाई स्वीकार करें.

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  9. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सुन्दर कटाक्ष प्रस्तुत कर रहा है आपका यह भजन.

    हार्दिक बधाई.

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

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  10. बहुत बेहतरीन रचना और उम्दा भाव!!

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  11. shukria.

    aapne ek hi blog par sab sahej kar accha kiya. padh kar accha laga.

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