शनिवार, 31 मार्च 2012

ना कभी ऐसी कयामत करना

 प्रस्तुत है एक रचना जो आशा है कि आप को अवश्य पसन्द आयेगी :-

ना कभी ऐसी कयामत करना।
यार बनकर तू दगा मत करना।

जब यकीं तुमपे कोई भी कर ले,
ना अमानत में ख़यानत करना।

दूसरों की नज़र
तुम देखो,
अपनी नज़रों में गिरा मत करना।

प्यार तुमको मिले जिससे यारों,
तुम कभी उससे जफ़ा मत करना।

वो जो दुश्मन तेरे अपनों का हो,
मिलना चाहे तो मिला मत करना।

जिसके दामन में तेरे आंसू गिरें,
 
तू कभी उसको ख़फ़ा मत करना।

38 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर......
    प्यार के मन्त्र है ये सब....

    लाजवाब!!!

    अनु

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  2. प्रसन्नवदन जी नमस्ते ...

    "दूसरों की नज़र ना तुम देखो ...
    अपनी नज़रों में गिरा मत करना "

    बहुत उम्दा ... नेक मशवरा ...

    मेरे ब्लॉग पर आने और मेरी रचना को सुन्दर टिप्पणी से नवाजने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ...

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  3. अपनी नज़रों में गिरा मत करना...बहुत खूब...

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  4. अच्छा संदेश देती हुई सुन्दर गजल...

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  5. एक से एक मिसरा ... जैसे ../
    दूसरों की नज़र न तुम देखो,
    अपनी नज़रों में गिरा मत करना।

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  6. सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
    http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_25.html
    http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/03/blog-post_12.html

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  7. जिसके दामन में तेरे आंसू गिरें,
    तू कभी उसको ख़फ़ा मत करना।
    सुन्दर रचना,बेहतरीन भाव पुर्ण प्रस्तुति,.
    चतुर्वेदीजी.आपका फालोवर बन गया हूँ,आप भी बने मुझे खुशी होगी,..

    RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...

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  8. दूसरों की नज़र न तुम देखो,
    अपनी नज़रों में गिरा मत करना।
    सहज सरल दो टूक सन्देश देती ग़ज़ल
    जिसके दामन में तेरे आंसू गिरें,
    तू कभी उसको ख़फ़ा मत करना। .

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  9. bahut hi sundar rachana chube ji .....bilkul sundar bhavon ke saath sarthak prayas

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  10. वाह ...बहुत ही अनुपम भाव लिए हुए उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति।

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  11. अनंत प्रेम की अनंत कथा।
    बढि़या ग़ज़ल।

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  12. पर प्रसन्नवदन जी समाज में अपने ही
    दगा करते हैं और कर पाते हैं। परायों
    से तो हम पहले से ही सावधान रहते
    हैं। सुन्दर गज़ल।
    सहज अभिव्यक्ति।

    आनन्द विश्वास।

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  13. बेहद शानदार अशआर.....
    बहुत खूब कहा है आपने ...

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  14. दूसरों की नज़र न तुम देखो,
    अपनी नज़रों में गिरा मत करना।

    जिसके दामन में तेरे आंसू गिरें,
    तू कभी उसको ख़फ़ा मत करना।

    भाई प्रसन्न वदन जी बहुत सुन्दर रचना सुन्दर मूल भाव और सन्देश ...बधाई ..जय श्री राधे
    भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण
    प्रतापगढ़

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  15. सुंदर सीख देती रचना ...
    शुभकामनायें ....

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  16. आपकी सभी प्रस्तुतियां संग्रहणीय हैं। .बेहतरीन पोस्ट .
    मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए
    अपना कीमती समय निकाल कर मेरी नई पोस्ट मेरा नसीब जरुर आये
    दिनेश पारीक
    http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/04/blog-post.html

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  17. बहुत सुन्दर गजल!...सुन्दर प्रस्तुति!...आभार!

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  18. अति सुन्दर , कृपया इसका अवलोकन करें vijay9: आधे अधूरे सच के साथ .....

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  19. वाह .. हर शेर सुभान अल्ला ... कमाल की गज़ल है प्रसन्नवदन जी ...

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  20. सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति.
    मेरे ब्लॉग पर आपके आने का आभार,प्रसन्न जी.

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  21. सभी शेर बहुत कमाल और खास, बधाई स्वीकारें.

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  22. माफ़ी चाहूंगी आप के ब्लॉग मे आप की रचनाओ के लिए नहीं अपने लिए सहयोग के लिए आई हूँ | मैं जागरण जगंशन मे लिखती हूँ | वहाँ से किसी ने मेरी रचना चुरा के अपने ब्लॉग मे पोस्ट किया है और वहाँ आप का कमेन्ट भी पढ़ा |मैंने उन महाशय के ब्लॉग मे कमेन्ट तो किया है मगर वो जब चोरी कर सकते है तो कमेन्ट को भी डिलीट कर सकते है |मेरा मकसद सिर्फ उस चोर के चेहरे से नकाब उठाने का है | आप से सहयोग की उम्मीद है | लिंक दे रही हूँ अपना भी और उन चोर महाशय का भी, इन्होने एक नहीं मेरी चार रचनाओ को अपने नाम से अपने ब्लॉग मे पोस्ट किया है
    http://div81.jagranjunction.com/author/div81/page/4/


    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.in/2011/03/blog-post_557.html

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  23. वो जो दुश्मन तेरे अपनों का हो,
    मिलना चाहे तो मिला मत करना।
    ..bahut khoob!

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  24. काफियों का चयन और इस्तेमाल बड़े सलीके किया है आपने. अच्छी ग़ज़ल है. दाद क़ुबूल करें.

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  25. सभी शेर बहुत कमाल के है

    ...मेरे ब्लॉग पर आपके आने का आभार,प्रसन्न जी.

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  26. बहुत सुन्दर गज़ल

    सीख देती हुई

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  27. बहुत ही अच्छा लगा आपकी गजलों को पढकर, सुनकर और देखकर

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