प्रस्तुत है एक रोमांटिक रचना जिसे मैं पहले भी पोस्ट कर चुका हूँ पर इस बार अपनी आवाज़ में इसे प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा है आप को ये रचना अवश्य भायेगी....
अपनी ये रचना मैं स्वर्गीय मोहम्मद सलीम राही को समर्पित करता हूँ जो आकाशवाणी वाराणसी में कार्यरत थे और एक अच्छे शायर थे। उन्होंने मेरी ग़ज़लों को बहुत सराहा और ये रचना उन्हें बहुत अच्छी लगती थी। इसको उन्हीं की वजह से सेतु [ एक संस्था जिसमें संगीतमय प्रस्तुति होती थी ] में शामिल किया गया था और इसे वहाँ ambika keshari ने अपनी आवाज़ दी थी।
यू-ट्यूब पर सुनने के लिये यहाँ क्लिक करें-
आडियो सुनने के लिये यहाँ क्लिक करें-
http://www.divshare.com/download/21387297-0f7
सुनने के लिए है न सुनाने के लिए है ।
ये बात अभी सबसे छुपाने के लिए है ।
दुनिया के बाज़ार में बेचो न इसे तुम ,
ये बात अभी दिल के खजाने के लिए है ।
इस बात की चिंगारी अगर फ़ैल गयी तो ,
तैयार जहाँ आग लगाने के लिए है ।
आंसू कभी आ जाए तो जाहिर न ये करना ,
ये गम तेरा मुझ जैसे दीवाने के लिए है ।
होता रहा है होगा अभी प्यार पे सितम ,
ये बात जमानों से ज़माने के लिए है ।
तुम प्यार की बातों को जुबां से नहीं कहना ,
ये बात निगाहों से बताने के लिए है ।
अपनी ये रचना मैं स्वर्गीय मोहम्मद सलीम राही को समर्पित करता हूँ जो आकाशवाणी वाराणसी में कार्यरत थे और एक अच्छे शायर थे। उन्होंने मेरी ग़ज़लों को बहुत सराहा और ये रचना उन्हें बहुत अच्छी लगती थी। इसको उन्हीं की वजह से सेतु [ एक संस्था जिसमें संगीतमय प्रस्तुति होती थी ] में शामिल किया गया था और इसे वहाँ ambika keshari ने अपनी आवाज़ दी थी।
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सुनने के लिए है न सुनाने के लिए है ।
ये बात अभी सबसे छुपाने के लिए है ।
दुनिया के बाज़ार में बेचो न इसे तुम ,
ये बात अभी दिल के खजाने के लिए है ।
इस बात की चिंगारी अगर फ़ैल गयी तो ,
तैयार जहाँ आग लगाने के लिए है ।
आंसू कभी आ जाए तो जाहिर न ये करना ,
ये गम तेरा मुझ जैसे दीवाने के लिए है ।
होता रहा है होगा अभी प्यार पे सितम ,
ये बात जमानों से ज़माने के लिए है ।
तुम प्यार की बातों को जुबां से नहीं कहना ,
ये बात निगाहों से बताने के लिए है ।
Copyright@PBChaturvedi
Waah....sir...
जवाब देंहटाएंKhubh aanand aaya ye kavita pd ke...
Dhanyawad iske liye..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंअनु
@वाह!!!!! शानदार प्रस्तुति सुंदर रचना!!
जवाब देंहटाएंrecent post: रूप संवारा नहीं...
bahut sundar sir!!
जवाब देंहटाएंशुक्र है दिल अब भी बाजार से अलहदा है सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल भाई चतुर्वेदी जी |सलीम राही जी के साथ दो -तीन कवि सम्मेलनों में हमारी मुलाकात हुई थी |कैलाश जी के साथ गया था |यादें ताज़ा हो गयीं |
जवाब देंहटाएंआपकी प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे हौसलाअफजाई के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंEnjoyed listening.
जवाब देंहटाएंBehtreen Gajal sir ji..Mja aa gya ji
जवाब देंहटाएंbehtareen gazal..
जवाब देंहटाएंसादर निमंत्रण,
जवाब देंहटाएंअपना बेहतरीन ब्लॉग हिंदी चिट्ठा संकलक में शामिल करें
वाह सर जी बहुत सुंदर ग़ज़ल पढ़ी आपने..ढेरों बधाइयाँ...प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंutam-***
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंहर शेर पर दाद कबूल कीजिए।
bahut mohak awaj men snder gazal...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट आपका आमंत्रण है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंbhai chaube ji behad khoob soorat gajal ke liye bahut bahut aabhar.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .... स्वर भी बहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंवाह!!
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत सुन्दर प्रस्तुति....
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