रविवार, 9 दिसंबर 2012

एक रोमांटिक रचना/सुनने के लिए है न सुनाने के लिए है

प्रस्तुत है एक रोमांटिक रचना जिसे मैं पहले भी पोस्ट कर चुका हूँ पर इस बार अपनी आवाज़ में इसे प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा है आप को ये रचना अवश्य भायेगी....
अपनी ये रचना मैं स्वर्गीय मोहम्मद सलीम राही को समर्पित करता हूँ जो आकाशवाणी वाराणसी में कार्यरत थे और एक अच्छे शायर थे। उन्होंने मेरी ग़ज़लों को बहुत सराहा और ये रचना उन्हें बहुत अच्छी लगती थी। इसको उन्हीं की वजह से सेतु [ एक संस्था जिसमें संगीतमय प्रस्तुति होती थी ] में शामिल किया गया था और इसे वहाँ ambika keshari ने अपनी आवाज़ दी थी।

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सुनने के लिए है न सुनाने के लिए है ।
ये बात अभी सबसे छुपाने के लिए है ।

दुनिया के बाज़ार में बेचो न इसे तुम ,
ये बात अभी दिल के खजाने के लिए है ।

इस बात की चिंगारी अगर फ़ैल गयी तो ,
तैयार जहाँ आग लगाने के लिए है ।

आंसू कभी आ जाए तो जाहिर न ये करना ,
ये गम तेरा मुझ जैसे दीवाने के लिए है ।

होता रहा है होगा अभी प्यार पे सितम ,
ये बात जमानों से ज़माने के लिए है ।

तुम प्यार की बातों को जुबां से नहीं कहना ,
ये बात निगाहों से बताने के लिए है ।

Copyright@PBChaturvedi

21 टिप्‍पणियां:

  1. Waah....sir...
    Khubh aanand aaya ye kavita pd ke...
    Dhanyawad iske liye..

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति....

    अनु

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  3. शुक्र है दिल अब भी बाजार से अलहदा है सुंदर

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  4. बहुत सुन्दर ग़ज़ल भाई चतुर्वेदी जी |सलीम राही जी के साथ दो -तीन कवि सम्मेलनों में हमारी मुलाकात हुई थी |कैलाश जी के साथ गया था |यादें ताज़ा हो गयीं |

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  5. आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे हौसलाअफजाई के लिए धन्यवाद।

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  6. वाह सर जी बहुत सुंदर ग़ज़ल पढ़ी आपने..ढेरों बधाइयाँ...प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद

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  7. बहुत बढ़िया ग़ज़ल।
    हर शेर पर दाद कबूल कीजिए।

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट आपका आमंत्रण है। धन्यवाद।

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  9. वाह, बहुत सुन्दर प्रस्तुति....

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