मित्रों ! एक पूर्वप्रकाशित रचना अपनी आवाज में प्रस्तुत कर रहा हूँ , इस रचना का संगीत-संयोजन और चित्र-संयोजन भी मैंने किया है | आप से अनुरोध है कि आप मेरे Youtube के Channel पर भी Subscribe और Like करने का कष्ट करें ताकि आप मेरी ऐसी रचनाएं पुन: देख और सुन सकें | आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि आप इस रचना को अवश्य पसंद करेंगे |
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जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ।
मैं तो केवल इतना सोचूँ।
बालिग होकर ये मुश्किल है,
आओ खुद को बच्चा सोचूँ।
सोच रहे हैं सब पैसों की,
लेकिन मैं तो दिल का सोचूँ।
बातों की तलवार चलाए,
कैसे उसको अपना सोचूँ।
ऊपर वाला भी कुछ सोचे,
मैं ही क्योंकर अपना सोचूँ।
जो भी होगा अच्छा होगा,
मैं बस क्या है करना सोचूँ।
मैं तो केवल इतना सोचूँ।
बालिग होकर ये मुश्किल है,
आओ खुद को बच्चा सोचूँ।
सोच रहे हैं सब पैसों की,
लेकिन मैं तो दिल का सोचूँ।
बातों की तलवार चलाए,
कैसे उसको अपना सोचूँ।
ऊपर वाला भी कुछ सोचे,
मैं ही क्योंकर अपना सोचूँ।
जो भी होगा अच्छा होगा,
मैं बस क्या है करना सोचूँ।
Copyright@PBChaturvedi
बेहद खुबसूरत रचना और लाजबाब लगा स्वर में सुनना
जवाब देंहटाएंराखी की असीम शुभ कामनायें
पहले तो आपको राखी के अवसर पर बहुत सारी शुभकामनाएं! बहुत अच्छा लगा यहाँ तक आकर! बेहद सुन्दर प्रस्तुति...........
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhav -abhivyakti
हटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, स्वर तो लाजबाब है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर ग़ज़ल और गायकी ,बहुत- बहुत बधाई आपको
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना !!
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना पढ़कर सुनकर अच्छी लगी वाकई :)
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंवाह बेहतरीन रचना की खुबसूरत प्रस्तुति ... बधाई एवं शुभकामनाये :)
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल और उसकी लाज़वाब प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंवाह !!! बहुत सुन्दर रचना ----
जवाब देंहटाएंजीवन का सार्थक सच कहती हुई ---
बधाई ----
आग्रह है ----
आवाजें सुनना पड़ेंगी -----
वाह वाह ! सचमुच मज़ा आ गया !
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना के लिए, बधाई आपको !
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंऊपर वाला भी कुछ सोचे,
जवाब देंहटाएंमैं ही क्योंकर अपना सोचूँ।
अंततः सब ऊपर वाले के हाथ में ही होता है..... इसलिए हम भी सिर्फ अपने लिए ही क्यों सोचें......बहुत सुन्दर सकारात्मक प्रस्तुति
बातों की तलवार चलाए,
जवाब देंहटाएंकैसे उसको अपना सोचूँ।
बहुत खूबसूरत शब्द
आपकी आवाज़ भी चार चाँद लगा रही है इस खूबसूरत ग़ज़ल में ...
जवाब देंहटाएंमज़ा आया बहुत ही ...
खूबसूरत गज़ल, सुंदर गायिकी. आपने ने इसे बहुत अच्छे ढंग से संगीतबद्ध किया है...बधाई!
जवाब देंहटाएंआपका सुझाव बेहद पसंद आया. यदि ऐसा कुछ हो पाया तो यकीनन मुझे बेहद ख़ुशी होगी...
स्वतंत्रता दिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ !
भावपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंऊपर वाला भी कुछ सोचे,
जवाब देंहटाएंमैं ही क्योंकर अपना सोचूँ।
वाह बेहतरीन
सुन्दर ग़ज़ल और गायकी
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंउम्दा गजल.... बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसुरत .....सुनने में और खुबसुरत लगी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गजल, दिल की गहराई का वर्णन
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंSundar rachna.
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर लिखा पंडित जी । बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्दों में सम्प्रेषणीय गज़ल । प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबढिया भाई
जवाब देंहटाएंऊपर वाला भी कुछ सोचे,
जवाब देंहटाएंमैं ही क्योंकर अपना सोचूँ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
Swar badh sundar rachna
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत ग़ज़ल और धुन, बधाई.
जवाब देंहटाएंkya baat
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर , प्रसन्न सर धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सुन्दर ग़ज़ल एवं आवाज़ ....पर
जवाब देंहटाएंबालिग होकर ये मुश्किल है, .. पर सोचना तो वालिग़ होकर ही पड़ता है ...नाचापन में कौन सोचता है.......
-----ऊपर वाला तो सदा सोच विचार कर ही करता है ...सोचना तो नानाव को ही है उसी को....
जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ। ...
नाचापन = बचपन ......नानाव = मानव
जवाब देंहटाएंवाह ... मज़ा आ गया पढ़ कर ... दुगना मजा आया सुन कर ...
जवाब देंहटाएंहा शेर लाजवाब है ...