पंचकवि-चौरासी घाट : प्रसन्न वदन चतुर्वेदी : ब्रह्मा घाट
न्यायालय में न्याय
नहीं है |
कुछ भी तो पर्याय
नहीं है |
मत बाँधो इसको खूंटे
से,
बेटी है ये गाय नहीं
है |
मोमबत्तियां जला रहे
हैं,
न्याय भरा समुदाय
नहीं है |
खर्चे पर खर्चे करते
हैं,
लेकिन कोई आय नहीं है
|
अपराधी फल-फूल रहे
हैं,
क्या अब लगती हाय
नहीं है |
जब अखबार नहीं; लगता
है,
आज सुबह की चाय नहीं
है |
तेरी-मेरे,
इसकी-उसकी,
मिलती क्योकर राय
नहीं है |
जयचन्दों से देश भरा
है,
कोई पन्ना-धाय नहीं
है |
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