इस समय पूरा विश्व कोरोना की चपेट में त्राहि-त्राहि कर रहा है, इसी समय नवरात्रि में इस रचना का प्रादुर्भाव हुआ जिसे संगीतबद्ध भी किया है | मेरे लिखे इस भजन को आप मेरी आवाजऔर मेरी बेटी शाम्भवी की आवाज में सुन सकते हैं | आशा है आप सभी को यह गीत पसंद आयेगा...
दुखवा हमार मइया टारीं, तोहरे शरण हम बानी |
सारा संसार में आइल बा बिपतिया,
रोग से मरत बाड़न लोग दिन-रतिया,
कोरोना फइलल महामारी, रउरे शरण हम बानी |
काम नाही काज नाही क़ैद सब घरवा,
निकले में डर लागे अपनो दुअरवा,
बिपदा पड़ल बाटे भारी तोहरे शरण हम बानी |
नवरात आइल बा आस बा इ जागल,
जे भी पुकारी ओकर दुख दउड़ी भागल,
संकट से मइया अब उबारीं रउरे शरण हम बानी |
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बिटिया शांभवी के श्रीमुख से माँ शांभवी को निवेदित अद्भुत गायन! बहुत सुंदर भजन!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भजन. बिटिया का गायन सुनकर छठ का गीत याद आया. आप पिता पुत्री बहुत अच्छा गाते हैं. आप दोनों को बधाई.
जवाब देंहटाएंBhut sunder rachnaye ki hai Bhut sunder kavitayein likhi hai aapne aapke sabd dill chu lete hai
जवाब देंहटाएंAapse nivedan hai ki hall hi maine blogger join kiya hai aapse vinti hai ap mere post me aaye aour mujhe sahi disha nirdesh de
https://shrikrishna444.blogspot.com/?m=1
Dhnyawad
good
जवाब देंहटाएंTake a look on my blog for heart touching poetry