हमारा दिल बहुत सहमा हुआ है |
किसी से क्या बताएं क्या हुआ है |
निकलना फिर घरों से रुक गया है,
शहर में फिर कहीं दंगा हुआ है |
सभी सम्भ्रान्त अन्धे हो गए हैं,
व्यवस्थाओं का रुख बहरा हुआ है |
तरक्की हो रही है फाइलों में,
हकीकत में शहर ठहरा हुआ है |
किसी पर जब यकीं हम दिल से करते,
हमारे साथ तब धोखा हुआ है |
तुम्हीं अहसास के मारे नहीं हो,
हमारे साथ भी ऐसा हुआ है |
हवा में जहर है पानी भी दूषित,
तरक्की का सिला इतना हुआ है |
‘अनघ’ सब चीर हरते द्रौपदी की,
दु:शासन कब भला नंगा हुआ है |
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वाह ... बहुत अच्छे शेर हैं गज़ल के ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब ...
वाह
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब गजल।
किसी पर जब यकीं हम दिल से करते,
जवाब देंहटाएंहमारे साथ तब धोखा हुआ है।,,,,, बहुत सुंदर,
बहुत सुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंThanks for Sharing The Amazing Content. i will also share with my friends. great content thankas a lot
जवाब देंहटाएंB.Sc 2nd Year Time Table
बहुत खूब... आसान शब्दों मे सारी बातें कह गए
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर!!!
जवाब देंहटाएंइस ग़ज़ल क हर्फ़-हर्फ़ सच्चाई से सराबोर है।
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