सोमवार, 31 अगस्त 2020

ग़ज़ल : हमारा दिल बहुत सहमा हुआ है

हमारा दिल बहुत सहमा हुआ है |

किसी से क्या बताएं क्या हुआ है |

 

निकलना फिर घरों से रुक गया है,

शहर में फिर कहीं दंगा हुआ है |

 

सभी सम्भ्रान्त अन्धे हो गए हैं,

व्यवस्थाओं का रुख बहरा हुआ है |

 

तरक्की हो रही है फाइलों में,

हकीकत में शहर ठहरा हुआ है |

 

किसी पर जब यकीं हम दिल से करते,

हमारे साथ तब धोखा हुआ है |

 

तुम्हीं अहसास के मारे नहीं हो,

हमारे साथ भी ऐसा हुआ है |

 

हवा में जहर है पानी भी दूषित,

तरक्की का सिला इतना हुआ है |

 

‘अनघ’ सब चीर हरते द्रौपदी की,

दु:शासन कब भला नंगा हुआ है |

Copyright@PBChaturvedi

9 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ... बहुत अच्छे शेर हैं गज़ल के ...
    लाजवाब ...

    जवाब देंहटाएं
  2. किसी पर जब यकीं हम दिल से करते,
    हमारे साथ तब धोखा हुआ है।,,,,, बहुत सुंदर,

    जवाब देंहटाएं
  3. Thanks for Sharing The Amazing Content. i will also share with my friends. great content thankas a lot
    B.Sc 2nd Year Time Table

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत खूब... आसान शब्दों मे सारी बातें कह गए

    जवाब देंहटाएं
  5. इस ग़ज़ल क हर्फ़-हर्फ़ सच्चाई से सराबोर है।

    जवाब देंहटाएं