दूर रहकर भी मेरे पास हो तुम।
जिसको ढूंढू वही तलाश हो तुम।
प्यार जो पहली-पहली बार हुआ,
मेरे उस प्यार का अह्सास हो तुम।
इस जहाँ में बहुत से चेहरे हैं,
इन सभी में बहुत ही खास हो तुम।
तेरा-मेरा मिलन तो फिर होगा,
ऐ मेरे यार क्यों उदास हो तुम।
तुमसे ही मेरी हर तमन्ना है,
मेरी हसरत हो मेरी आस हो तुम।
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बहुत ही अच्छी रचना है
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तख़लीक़-ए-नज़र
दूर रहकर भी मेरे पास हो तुम।
जवाब देंहटाएंजिसको ढूंढू वही तलाश हो तुम।
वाह जी ....बड़ी खुशी हुई आपकी तलाश पूरी हुई ....लाजवाब शे'र ....!!!
kya baat hai prassan ji...... bahut achha laga padhkar
जवाब देंहटाएंwaah..
जवाब देंहटाएंpyar bhara, ek sukhad ehsaas bhara prsatuti
badhayi..bahut achchi lagi aapke geet
prem chalkati ik khoobsurat rachna
जवाब देंहटाएंbahut badhaii.
मेरे ब्लाग पर आपके प्रथम आगमन के लिये अभिनन्दन,
जवाब देंहटाएंतुमसे ही मेरी हर तमन्ना है,
मेरी हसरत हो मेरी आस हो तुम।
हर पंक्ति बहुत ही लाजवाब, बेहतरीन प्रस्तुति ।
"तुमसे ही मेरी हर तमन्ना है,
जवाब देंहटाएंमेरी हसरत हो मेरी आस हो तुम।"
वाह...वाह....!
बहुत सुन्दर,
बधाई।
सुन्दर। शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंpyar bhare ahsaas liye khubsurat gazal!
जवाब देंहटाएंshukriya
'तेरा-मेरा मिलन तो फिर होगा,
जवाब देंहटाएंऐ मेरे यार क्यों उदास हो तुम।'
- यह आत्म विश्वास ही प्रेम का संबल है.
तेरा-मेरा मिलन तो फिर होगा,
जवाब देंहटाएंऐ मेरे यार क्यों उदास हो तुम।
... bahut khoob !!!!!
तेरा-मेरा मिलन तो फिर होगा,
जवाब देंहटाएंऐ मेरे यार क्यों उदास हो तुम।
वाह अजा आ गया चतुर्वेदी जी बधाइयां